आरा की सड़कों की हालत दिन-ब-दिन इतनी ख़राब होती जा रही है कि अब ये सिर्फ़ असुविधा नहीं, बल्कि अमेजन जिंदगियों का सवाल बन चुकी है।
टूटी सड़कों, गड्ढों और पानी से भरी गलियों में रोज़ाना आम लोग—स्कूल जाने वाले बच्चे, बुज़ुर्ग, मज़दूर, महिलाएँ—खतरे उठाकर सफर करने को मजबूर हैं।
हर दिन कोई न कोई दुर्घटना…
हर दिन कोई न कोई परेशानी…
और हर दिन सरकार की चुप्पी।
एक शहर की पहचान उसकी सड़कों और स्वच्छता से होती है।
लेकिन जब यही सड़कें जाल बन जाएँ, तो विकास सिर्फ़ कागज़ों पर ही अच्छा लगता है।
अब वक्त आ गया है कि सरकार इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करने के बजाय
त्वरित कदम उठाए, मरम्मत कराए और जनता की जिंदगी को सुरक्षित बनाए।
क्योंकि आरा सिर्फ़ एक शहर नहीं—हम सबकी उम्मीदों, सपनों और भविष्य का घर है।
टूटी सड़कों, गड्ढों और पानी से भरी गलियों में रोज़ाना आम लोग—स्कूल जाने वाले बच्चे, बुज़ुर्ग, मज़दूर, महिलाएँ—खतरे उठाकर सफर करने को मजबूर हैं।
हर दिन कोई न कोई दुर्घटना…
हर दिन कोई न कोई परेशानी…
और हर दिन सरकार की चुप्पी।
एक शहर की पहचान उसकी सड़कों और स्वच्छता से होती है।
लेकिन जब यही सड़कें जाल बन जाएँ, तो विकास सिर्फ़ कागज़ों पर ही अच्छा लगता है।
अब वक्त आ गया है कि सरकार इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करने के बजाय
त्वरित कदम उठाए, मरम्मत कराए और जनता की जिंदगी को सुरक्षित बनाए।
क्योंकि आरा सिर्फ़ एक शहर नहीं—हम सबकी उम्मीदों, सपनों और भविष्य का घर है।



